Gensol Scam: कंपनी के फंड से खरीदा 50 करोड़ का लग्जरी फ्लैट, शेयर 1125 से 122 रुपये पर लुढ़का

Gensol Scam: SEBI ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (GEL) और इसके प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी व पुनीत सिंह जग्गी पर सख्त कार्रवाई की है. सेबी ने दोनों भाइयों को शेयर बाजार में किसी भी गतिविधि से रोक दिया है और कंपनी में किसी भी निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर रहने से रोक लगा दिया है. यह कार्रवाई कंपनी के फंड के दुरुपयोग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद की गई है. सेबी के अंतरिम आदेश के अनुसार, अनमोल सिंह जग्गी और उनके भाई ने कंपनी के करोड़ों रुपये को निजी उपयोग के लिए डायवर्ट किया, जिसमें गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियास में 50 करोड़ रुपये का एक लग्जरी फ्लैट खरीदना शामिल है. इस खुलासे के बाद जेनसोल के शेयर 1125 रुपये से गिरकर 122 रुपये पर आ गए।.

 
Gensol Scam

अनमोल सिंह जग्गी कौन है?
अनमोल सिंह जग्गी एक उद्यमी हैं, जिन्होंने देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज से अप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की है. उन्होंने 2012 में जेनसोल इंजीनियरिंग की स्थापना की, जो सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) लीजिंग में काम करती है. इसके अलावा, अनमोल 2019 में स्थापित इलेक्ट्रिक कैब सेवा ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी के सह-संस्थापक भी हैं. वह मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्यरत हैं. अनमोल ने 2005 में रिलायंस इंडस्ट्रीज में इंटर्नशिप की थी और एंटरप्रेन्योरशिप में इंटरेस्ट रखने वाले एक फौजी परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

क्या है घोटाला?
क्या है Gensol Scam

SEBI की जांच में पाया गया कि जेनसोल ने 2021 से 2024 के बीच इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) से 978 करोड़ रुपये के ऋण लिए थे. इनमें से 664 करोड़ रुपये का उपयोग 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने और ब्लूस्मार्ट को लीज पर देने के लिए होना था. हालांकि, फरवरी 2025 तक केवल 4,704 वाहन ही खरीदे गए, जिनकी लागत 568 करोड़ रुपये थी. शेष 262.13 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं मिला.

50 करोड़ का लग्जरी फ्लैट
सेबी ने पाया कि ये फंड घुमा फिरा कर डायवर्ट किए गए. लग्जरी फ्लैट की खरीद: 71.39 करोड़ रुपये के ऋण में से 97 करोड़ रुपये जेनसोल के EV सप्लायर गो-ऑटो को ट्रांसफर किए गए. गो-ऑटो ने 50 करोड़ रुपये कैपब्रिज वेंचर्स को भेजे, जो अनमोल सिंह जग्गी द्वारा नियंत्रित एक कंपनी है. 6 अक्टूबर 2022 को कैपब्रिज ने 42.94 करोड़ रुपये डीएलएफ को ट्रांसफर किए, जिससे डीएलएफ कैमेलियास में एक लग्जरी फ्लैट खरीदा गया. यह फ्लैट पहले अनमोल की मां जस्मिंदर कौर के नाम पर बुक किया गया था, जिन्होंने 5 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया था, जो भी जेनसोल के फंड से लिया गया था.

10 लाख की स्पा, 26 लाख का गोल्फ सेट
अनमोल ने 25.76 करोड़ रुपये और पुनीत ने 13.55 करोड़ रुपये अपने निजी उपयोग के लिए डायवर्ट किए. इनमें 26 लाख रुपये का टेलरमेड गोल्फ सेट, 10.36 लाख रुपये की स्पा सेशन, 17.28 लाख रुपये की टाइटन कंपनी से लग्जरी खरीदारी, 9.95 लाख रुपये का क्रेडिट कार्ड खर्च, और 3 लाख रुपये की मेकमायट्रिप पर प्राइवेट टूर शामिल हैं. इसके अलावा, अनमोल ने 1.86 करोड़ रुपये के यूएई दिरहम रखे और 23 लाख रुपये ICICI सिक्योरिटीज में इंवेस्ट किए.

परिवार को ट्रांसफर : अनमोल ने अपनी पत्नी को 2.98 करोड़ रुपये और मां को 6.20 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए.
अन्य निवेश: अनमोल ने जेनसोल के फंड से 50 लाख रुपये अशनीर ग्रोवर की स्टार्टअप थर्ड यूनिकॉर्न और 1.35 करोड़ रुपये बैटएक्स एनर्जी में निवेश किए.

सेबी की कार्रवाई
सेबी ने अपने 29 पेज के अंतरिम आदेश में कहा कि अनमोल और पुनीत ने जेनसोल को एक निजी कंपनी की तरह चलाया, जैसे कि कंपनी का फंड उनका निजी “पिगी बैंक” हो. 

  • दोनों भाइयों को शेयर बाजार में किसी भी गतिविधि से रोका गया.
  • जेनसोल में किसी भी निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर रहने से प्रतिबंधित किया गया.
  • कंपनी के प्रस्तावित 1:10 स्टॉक स्प्लिट को रद्द कर दिया गया, क्योंकि यह खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए था, जो मौजूदा स्थिति में उनके हित में नहीं था.

जेनसोल और ब्लूस्मार्ट की स्थिति
जेनसोल, जो कभी भारत के स्वच्छ तकनीक क्षेत्र का चमकता सितारा था, अब गंभीर संकट में है. कंपनी का बाजार पूंजीकरण एक साल में 4,300 करोड़ रुपये से घटकर 506 करोड़ रुपये हो गया. शेयर की कीमत 85% गिरकर 122.68 रुपये पर आ गई. खुदरा निवेशकों की संख्या FY20 में 155 से बढ़कर मार्च 2025 तक 1,10,000 से अधिक हो गई, लेकिन प्रमोटर की हिस्सेदारी 70.72% से घटकर 35% रह गई.

ब्लूस्मार्ट भी वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. मार्च 2025 के लिए कर्मचारियों के वेतन भुगतान में देरी हुई, और अनमोल ने कर्मचारियों को ईमेल में आश्वासन दिया कि अप्रैल के अंत तक सभी बकाया भुगतान कर दिए जाएंगे. कंपनी ने NCR, मुंबई और बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में कैब बुकिंग को सस्पेंड कर दिया है.

कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सवाल
सेबी ने कहा कि जेनसोल में आंतरिक नियंत्रण और कॉरपोरेट गवर्नेंस नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन हुआ। फंड को गो-ऑटो, कैपब्रिज, और वेलफ्रे सोलर इंडस्ट्रीज जैसी संबंधित संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट किया गया. वेलफ्रे, जिसका 99% स्वामित्व ललित सोलंकी के पास है (जो पहले जेनसोल में रेगुलेटरी अफेयर्स मैनेजर थे), ने 424.14 करोड़ रुपये प्राप्त किए, जिनमें से 382.84 करोड़ रुपये अन्य संस्थाओं को ट्रांसफर किए गए.

निवेशकों का नुकसान
सेबी ने चेतावनी दी कि डायवर्ट किए गए फंड को कंपनी के खातों से हटाना होगा, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान होगा. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ICRA और CARE ने जेनसोल की रेटिंग को डिफॉल्ट स्थिति में डाउनग्रेड कर दिया, क्योंकि कंपनी ने IREDA और PFC के लोन चुकाने में देरी की और कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज पेश किए.

क्या कहता है जेनसोल?
जेनसोल ने CEO अनमोल सिंह जग्गी के हस्ताक्षर से एक निवेशक रिलीज जारी कर दावा किया कि वह किसी भी फर्जीवाड़े में शामिल नहीं है. हालांकि, सेबी ने IREDA और PFC के बयानों का हवाला देते हुए पुष्टि की कि कंपनी लोन चुकाने में डिफॉल्ट किया है.

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