सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड (Synthetic Identity Fraud)

सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड एक प्रकार की धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी असली और झूठी जानकारी को मिलाकर एक नई पहचान बना लेते हैं।
 
सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड (Synthetic Identity Fraud)

सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड एक प्रकार की धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी असली और झूठी जानकारी को मिलाकर एक नई पहचान बना लेते हैं। यह एक ऐसी धोखाधड़ी है, जिसमें वास्तविक व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसे नए विवरणों के साथ जोड़कर एक पूरी तरह से नई "सिंथेटिक" (कृत्रिम) पहचान बनाई जाती है। इस प्रकार की धोखाधड़ी के तहत, धोखेबाज किसी व्यक्ति के नाम, जन्मतिथि, सोशल सिक्योरिटी नंबर (SSN) जैसी जानकारी का उपयोग करते हुए एक नकली पहचान बना सकते हैं।

कैसे काम करता है सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड:

  1. वास्तविक जानकारी का उपयोग: धोखेबाज असली व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि एक व्यक्ति का नाम, सोशल सिक्योरिटी नंबर (SSN), जन्म तिथि, या पता प्राप्त करते हैं, जिसे वे इंटरनेट या डार्क वेब से चुराते हैं।

  2. नकली जानकारी जोड़ना: अपराधी फिर इस असली जानकारी में कुछ नकली विवरण जोड़ते हैं, जैसे कि एक काल्पनिक पता, फोन नंबर, या अन्य व्यक्तिगत जानकारी। इस प्रकार, वे एक पूरी तरह से नई "सिंथेटिक" पहचान बना लेते हैं।

  3. नई पहचान का निर्माण: इस नई सिंथेटिक पहचान का उपयोग विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी के लिए किया जाता है, जैसे कि फर्जी बैंक खाता खोलना, क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना, लोन लेना, या अन्य वित्तीय उत्पादों का उपयोग करना। धोखेबाज इस सिंथेटिक पहचान के तहत फर्जी क्रेडिट हिस्ट्री बनाते हैं, ताकि उन्हें वित्तीय संस्थाओं से लोन या क्रेडिट मिल सके।

सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड के तरीके:

  1. क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी: धोखेबाज सिंथेटिक पहचान का उपयोग करके क्रेडिट कार्ड खोल सकते हैं और फिर उन कार्डों का इस्तेमाल बिना किसी भुगतान के खरीदारी करने के लिए कर सकते हैं। क्योंकि यह पहचान पूरी तरह से सिंथेटिक होती है, बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ इसे पहचानने में मुश्किल होती है।

  2. लोन और लीज़ धोखाधड़ी: धोखेबाज फर्जी पहचान का उपयोग करके बैंक से लोन या कार लीज़ प्राप्त कर सकते हैं। वे इन लोन या लीज़ों को चुकाने का इरादा नहीं रखते, और समय पर भुगतान नहीं करने पर इसका असर असली व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री पर नहीं पड़ता।

  3. फर्जी टैक्स रिफंड: सिंथेटिक पहचान का उपयोग करके धोखेबाज टैक्स रिफंड भी प्राप्त कर सकते हैं। वे एक नकली पहचान के तहत फर्जी टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं और रिफंड प्राप्त कर लेते हैं।

  4. ई-कॉमर्स धोखाधड़ी: सिंथेटिक पहचान का उपयोग करके ऑनलाइन दुकानों से सस्ती कीमतों पर उत्पाद खरीदे जाते हैं, और फिर इन्हें फ्लिप या पुनः बेचकर लाभ कमाया जाता है।

सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड का प्रभाव:

  1. व्यक्तिगत नुकसान: यदि एक असली व्यक्ति का व्यक्तिगत डेटा धोखेबाजों द्वारा चोरी किया जाता है और उसका उपयोग सिंथेटिक पहचान बनाने के लिए किया जाता है, तो इसका प्रभाव उनके वित्तीय इतिहास और क्रेडिट स्कोर पर पड़ सकता है। धोखाधड़ी के कारण असली व्यक्ति को अपने क्रेडिट रिपोर्ट को ठीक करने में कठिनाई हो सकती है।

  2. बैंक और वित्तीय संस्थाओं का नुकसान: बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएँ इस प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार होती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक असली ग्राहक को लोन दे रहे हैं या क्रेडिट कार्ड जारी कर रहे हैं, जबकि वास्तव में वे एक सिंथेटिक पहचान से धोखाधड़ी कर रहे होते हैं। यह वित्तीय संस्थाओं के लिए नुकसान और जोखिम पैदा करता है।

  3. सुरक्षा खतरे: सिंथेटिक पहचान बनाने वाले अपराधी अक्सर बहुत सूक्ष्म और योजना के तहत काम करते हैं, जिससे वे अपराधों को लंबे समय तक छुपाने में सक्षम होते हैं। यह न केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, बल्कि इससे ग्राहक की गोपनीयता और सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है।

सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड से बचाव के उपाय:

  1. सुरक्षित डेटा साझा करना: अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि SSN, बैंक खाता विवरण, या अन्य संवेदनशील जानकारी, केवल विश्वसनीय और सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर ही साझा करें।

  2. क्रेडिट रिपोर्ट की नियमित जांच: अपनी क्रेडिट रिपोर्ट नियमित रूप से जांचें, ताकि किसी भी असामान्य गतिविधि या नई लोन गतिविधियों का पता चल सके।

  3. धोखाधड़ी से संबंधित जागरूकता: आमतौर पर होने वाली धोखाधड़ी की गतिविधियों के बारे में जागरूक रहें, और यदि आपको किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि का संदेह हो, तो तुरंत संबंधित वित्तीय संस्थान या अधिकारियों से संपर्क करें।

  4. मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग: ऑनलाइन बैंकिंग, शॉपिंग, या अन्य वित्तीय गतिविधियों के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें, ताकि आपके खाते को सुरक्षित रखा जा सके।

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