98 लाख की ठगी: BBA, B.Com और होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके जालसाजों की चालाकी, पुलिस भी रह गई दंग

वाराणसी में नेवी से रिटायर सब लेफ्टिनेंट से 98 लाख की ठगी के लिए जालसाजों ने गजब का दिमार लगाया था। जालसाजों ने 98 लाख की ठगी के लिए 1000 से ज्यादा बैंक खातों का उपयोग किया। 

 
98 लाख की ठगी: BBA, B.Com और होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके जालसाजों की चालाकी, पुलिस भी रह गई दंग

वाराणसी में नेवी से रिटायर सब लेफ्टिनेंट से 98 लाख की ठगी के लिए जालसाजों ने गजब का दिमार लगाया था। जालसाजों ने 98 लाख की ठगी के लिए 1000 से ज्यादा बैंक खातों का उपयोग किया। 

नेवी से रिटायर सब लेफ्टिनेंट को 22 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 98 लाख की साइबर ठगी मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से तीन ने बीबीए, बीकॉम और होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। गिरफ्तार आरोपियों में चंदौली, मिर्जापुर, वाराणसी, जौनपुर और सीतापुर के शामिल हैं। आरोपियों में गिरोह का मास्टरमाइंड सीतापुर के रामकोटी गौशालापुरवा निवासी संदीप कुमार भी शामिल है।

ठगी गिरोह की कमान सीतापुर के संदीप को सौंपी 
खाड़ी देशों में बैठे जालसाजों ने यूपी में ठगी गिरोह की कमान सीतापुर के संदीप को सौंपी थी। सिर्फ संदीप और विदेश में बैठे जालसाज के बीच बातचीत होती थी। संदीप के नीचे सभी नेटवर्किंग कंपनी की तरह काम करते हैं। बैंक खातों में गेमिंग और बिजनेस का पैसा मंगाने का हवाला देकर पढ़ने वाले छात्रों और बेरोजगार युवाओं को जोड़ते हैं। पहले उन्हें महंगे होटलों में सेमिनार के माध्यम से जोड़ा जाता है। विमान किराया और होटल खर्च अन्य खर्चे साइबर जालसाज वहन करते हैं। इस तरह विश्वास में लेकर उनके बैंक खातों को इस्तेमाल करना शुरू करते हैं। इस केस में भी यही हुआ। संदीप की नजदीकी चकिया के अभिषेक से हुई थी। इसके बाद अभिषेक ने कुनाल, विकास पटेल और अन्य को जोड़ा।

98 लाख की ठगी: 1000 से ज्यादा बैंक खातों का इस्तेमाल, पुलिस ने ट्रेस किए 50 से अधिक खाताधारक

साइबर अपराध में दुर्गाकुंड कबीर नगर निवासी इकबाल खान के आईसीआईसीआई बैंक खाते का मुख्य रूप से इस्तेमाल हुआ। ठगों ने ऐसा नेटवर्क बनाया कि इकबाल के खाते में पैसा आते ही ऑटोमेटिक 50 से ज्यादा अन्य खातों में ट्रांसफर हो जाता। जांच में सामने आया कि 98 लाख की इस ठगी में 1000 से अधिक बैंक खातों का उपयोग किया गया। साइबर पुलिस अब तक 50 से अधिक खाताधारकों को ट्रेस कर चुकी है।

विदेश में बैठे सरगना तक पहुंचना मुश्किल

साइबर क्राइम थाने की पुलिस के अनुसार, मुख्य सरगना विदेश में है और वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल करता है, जिससे उसे पकड़ना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

बैंक सर्विलांस और मोबाइल सीडीआर से ट्रेसिंग

साइबर क्राइम थाने के एसीपी ने बताया कि प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बैंक खातों की सर्विलांस और मोबाइल सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) के जरिए जांच की। 4 दिसंबर को मामला दर्ज हुआ, जिसके बाद विभिन्न जिलों में छानबीन कर आरोपियों तक पहुंचा गया।

रिटायर नेवी ऑफिसर को बनाया निशाना

बलिया के फेफना मरगूपुर निवासी और वर्तमान में सारनाथ के माधव नगर कॉलोनी निवासी अनुज कुमार यादव, जो 31 जुलाई को नेवी से रिटायर हुए थे, को साइबर ठगों ने ट्राई (TRAI) का अधिकारी बनकर फंसाया। 11 नवंबर से 3 दिसंबर तक ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर रखा। उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर 98 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा लिए।

ड्रैगन एसएमएस और वर्चुअल मशीन का इस्तेमाल

साइबर विशेषज्ञ श्याम लाल गुप्ता ने बताया कि ठग ड्रैगन एसएमएस और वर्चुअल मशीन जैसी तकनीकों का उपयोग करते थे। वर्चुअल नंबर से कॉल कर खुद को TRAI या CBI अधिकारी बताकर लोगों को डराया जाता था। झांसे में आकर लोग ठगों को पैसे ट्रांसफर कर देते थे।

फर्जी सिम और बैंक खातों का उपयोग

अपनी पहचान छिपाने के लिए ठग फर्जी म्यूल बैंक खाते, फर्जी सिम कार्ड और डिजिटल फुटप्रिंट को छिपाने के लिए वर्चुअल मशीन का सहारा लेते थे।

गिरफ्तारी टीम:
निरीक्षक विजय नारायण मिश्र, राजकिशोर पांडेय, विपिन कुमार, विजय कुमार यादव, एसआई संजीव कन्नौजिया, सतीश सिंह, शैलेंद्र कुमार, आलोक रंजन सिंह, श्याम लाल गुप्ता, गोपाल चौहान, और चंद्रशेखर यादव जैसे अधिकारियों ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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