आवाज की नकल कर धोखाधड़ी (Voice Cloning Fraud):

वाराणसी में एक साइबर अपराध में ठगों ने वॉयस क्लोनिंग तकनीक का उपयोग कर एक बिल्डर से ₹60 लाख की ठगी की।
 
आवाज की नकल कर धोखाधड़ी (Voice Cloning Fraud):

आवाज की नकल कर धोखाधड़ी (Voice Cloning Fraud):

वाराणसी में एक साइबर अपराध में ठगों ने वॉयस क्लोनिंग तकनीक का उपयोग कर एक बिल्डर से ₹60 लाख की ठगी की। यह घटना डिजिटल तकनीकों का दुरुपयोग कर ठगी के बढ़ते खतरों को उजागर करती है।

ठगी का तरीका:

  1. वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर:

    • ठगों ने बिल्डर के किसी करीबी व्यक्ति की आवाज की नकल की।
    • यह नकल इतनी सटीक थी कि बिल्डर को यह महसूस ही नहीं हुआ कि वह असली व्यक्ति से बात नहीं कर रहे।
  2. विश्वास निर्माण:

    • क्लोन की गई आवाज के जरिए पैसों की तत्काल आवश्यकता का झूठा दावा किया गया।
    • बिल्डर से विश्वासपूर्वक पैसे ट्रांसफर करने को कहा गया।
  3. भुगतान:

    • ठगों ने बैंक खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर कराए। यह प्रक्रिया इतनी जल्दी हुई कि पीड़ित के पास संदेह करने का समय ही नहीं था।

पुलिस और विशेषज्ञों की सलाह:

  1. सतर्कता बरतें:

    • किसी भी वित्तीय लेन-देन से पहले कॉल की सत्यता जांचें।
    • संदिग्ध कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें।
  2. डिजिटल सुरक्षा:

    • संवेदनशील जानकारी ऑनलाइन साझा करने से बचें।
    • अज्ञात लिंक या सॉफ़्टवेयर का उपयोग न करें।
  3. आधिकारिक सत्यापन:

    • यदि कोई आपसे पैसे मांगता है, तो उनसे वीडियो कॉल पर बात करने की कोशिश करें।
    • संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें।

वॉयस क्लोनिंग: खतरा और समाधान

  • यह तकनीक मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए आवाजों की सटीक नकल करती है।
  • इसे रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग इस तरह की धोखाधड़ी से बच सकें।

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