Who is Chinmay Deore: कौन हैं भारतीय छात्रा चिन्मय देवरे, जिन्होंने ट्रम्प सरकार के खिलाफ दायर किया मुकदमा?

Who is Chinmay Deore: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ चार प्रवासी छात्रों ने एक बड़ी कानूनी लड़ाई की शुरुआत की है. इन छात्रों में भारत की एक छात्रा चिन्मय देवरे भी शामिल हैं, जिन्होंने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि ट्रंप सरकार ने गैरकानूनी तरीके से उनका स्टूडेंट इमिग्रेशन स्टेटस रद्द कर दिया है, जिससे उन्हें हिरासत में लिए जाने या देश से निष्कासित किए जाने का खतरा बना हुआ है.

 
Who is Chinmay Deore

क्या है पूरा मामला?
चार छात्रों — जिनमें दो चीन, एक नेपाल और एक भारत से हैं — ने मिशिगन में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इनका कहना है कि वे सभी मिशिगन की पब्लिक यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई कर रहे हैं और किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि या इमिग्रेशन उल्लंघन में शामिल नहीं हैं. उन्होंने अदालत में बताया कि उन्हें न तो कोई नोटिस दिया गया, न ही कोई आरोप लगाए गए, फिर भी उनका स्टूडेंट वीजा स्टेटस समाप्त कर दिया गया.

चिन्मय देवरे कौन हैं?
Who is Chinmay Deore?

भारतीय छात्रा चिन्मय देवरे इस कानूनी लड़ाई में एक प्रमुख चेहरा हैं. लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वे मिशिगन स्थित वेन स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कंप्यूटर साइंस की ग्रैजुएशन की छात्रा हैं. वे अगस्त 2021 से यूनिवर्सिटी से जुड़ी हुई हैं और मई 2025 में उनकी डिग्री पूरी होने की उम्मीद है.

देवरे 2004 में ‘H-4 आश्रित वीजा’ के तहत पहली बार अमेरिका गई थीं. 2008 में वे अपने परिवार के साथ भारत लौट आईं और 2014 में पुनः अमेरिका चली गईं. मिशिगन से हाई स्कूल पूरा करने के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. मई 2022 में H-4 वीजा की आयु सीमा समाप्त होने पर उन्होंने वैध तरीके से F-1 स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन किया और उन्हें यह स्टेटस मिला भी.

छात्रों ने कोर्ट में क्या कहा?
छात्रों ने कहा कि वे ना तो किसी आपराधिक केस में शामिल हैं, ना ही किसी राजनीतिक विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा रहे हैं. उनका कहना है कि ट्रंप सरकार ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनका स्टूडेंट स्टेटस रद्द कर दिया, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और संविधान विरोधी है.

चिन्मय देवरे और अन्य छात्रों की मांग है कि उन्हें फिर से स्टूडेंट इमिग्रेशन स्टेटस दिया जाए ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें और डिपोर्टेशन जैसी स्थितियों से बच सकें. फिलहाल चिन्मय देवरे मिशिगन के कैंटन शहर में अपने परिवार के साथ रह रही हैं. कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और आने वाले समय में यह मामला प्रवासी छात्रों के अधिकारों को लेकर एक बड़ी कानूनी नज़ीर बन सकता है.

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