वाराणसी की दालमंडी बाजार में 10,000 दुकानों पर संकट: काशी विश्वनाथ धाम के लिए सड़क चौड़ीकरण योजना
वाराणसी की दालमंडी बाजार में 10,000 दुकानों पर संकट: काशी विश्वनाथ धाम के लिए सड़क चौड़ीकरण योजना
Tue, 24 Dec 2024
वाराणसी की दालमंडी बाजार की एक किलोमीटर लंबी सड़क के चौड़ीकरण की योजना है।
वाराणसी की दालमंडी बाजार में 10,000 दुकानों पर संकट: काशी विश्वनाथ धाम के लिए सड़क चौड़ीकरण योजना
वाराणसी के ऐतिहासिक दालमंडी बाजार में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत 10,000 से अधिक दुकानें और भवन टूटने की संभावना है। यह योजना काशी विश्वनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए रास्ता आसान बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
परियोजना का उद्देश्य
- वर्तमान में 8 फीट चौड़ी सड़क को 23 फीट चौड़ा किया जाएगा।
- काशी विश्वनाथ धाम की दूरी 2.5 किमी से घटकर 1 किमी रह जाएगी।
- यह कदम तीर्थयात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए उठाया गया है।
सर्वेक्षण और तैयारी
- नगर निगम ने सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया है।
- शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, और जल्द ही कार्रवाई शुरू होने की संभावना है।
दालमंडी की ऐतिहासिक और व्यावसायिक पहचान
- इतिहास: दालमंडी अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही चर्चित रही है। यहां कभी कोठों पर संगीत की महफिलें सजती थीं, जहां देशभक्ति और आजादी की रणनीतियां बनाई जाती थीं।
- व्यवसाय: वर्तमान में यह इलाका पूर्वांचल का प्रमुख थोक बाजार है। यहां से कपड़ा, मोबाइल एसेसरीज, इलेक्ट्रॉनिक सामान, पटाखे, और त्योहारों के लिए विशेष वस्तुओं की आपूर्ति होती है।
- सांस्कृतिक धरोहर: इस क्षेत्र में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां भी निवास करते थे।
स्थानीय व्यापारियों में चिंता
- सड़क चौड़ीकरण से प्रभावित होने वाले लोग कई पीढ़ियों से यहां बसे हुए हैं।
- 10,000 दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
- व्यापारी वर्ग में बुलडोजर कार्रवाई की खबर से तनाव है।
दालमंडी का सांस्कृतिक महत्व
- इतिहास के पन्ने: यहां के कोठों की तवायफें आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाती थीं।
- व्यावसायिक केंद्र: यह इलाका थोक पतंग कारोबार, कपड़ा, ड्राई फ्रूट्स और सजावटी सामान के लिए प्रसिद्ध है।
भविष्य की राह
दालमंडी के ऐतिहासिक महत्व और व्यावसायिक पहचान को देखते हुए, प्रशासन और प्रभावित व्यापारियों के बीच संवाद की आवश्यकता है ताकि विकास कार्यों के साथ सांस्कृतिक धरोहर भी सुरक्षित रहे।
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