BHU : मनुस्मृति जलाने की कोशिश मामले में आया नया मोड़, छात्र बोले- हमें भी पीटा गया; Video बनाकर किया वायरल

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हाल ही में मनुस्मृति जलाने की कोशिश के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है।
 
BHU : मनुस्मृति जलाने की कोशिश मामले में आया नया मोड़, छात्र बोले- हमें भी पीटा गया; Video बनाकर किया वायरल

हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में मनुस्मृति जलाने की कोशिश को लेकर एक नया मोड़ सामने आया है। इस घटना में कुछ छात्रों ने दावा किया है कि जब उन्होंने मनुस्मृति जलाने की कोशिश की, तो विश्वविद्यालय प्रशासन और सुरक्षा बलों ने उन्हें पीटा। इस घटना के बाद, छात्रों ने इसका एक वीडियो बनाकर वायरल किया, जिसमें उन्हें पीटे जाने की दृश्यावली दिखाई गई है।

यह मामला उस समय उभरा जब कुछ छात्रों ने BHU के परिसर में मनुस्मृति जलाने का प्रयास किया था। मनुस्मृति, एक प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्र है, जिसे विशेष रूप से जातिवाद और सामाजिक असमानता को बढ़ावा देने वाले कानूनों के लिए आलोचना की जाती है। कई सामाजिक और राजनीतिक समूह इसे निरस्त करने की मांग करते रहे हैं। इन छात्रों का यह कदम उस समय परिप्रेक्ष्य में देखा गया था जब देश भर में जातिवाद और सामाजिक समानता पर बहस तेज थी।

घटना के बाद, छात्रों ने आरोप लगाया कि जब वे मनुस्मृति जलाने का प्रयास कर रहे थे, तब विश्वविद्यालय प्रशासन और सुरक्षा बलों ने उन्हें पकड़ लिया और बेरहमी से पीटा। छात्रों का कहना है कि सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें न केवल शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उनके विरोध को दबाने की कोशिश भी की। इस घटना के दौरान, छात्रों ने जो वीडियो रिकॉर्ड किया, उसमें उनकी पीटाई और कथित तौर पर उनके साथ बुरा व्यवहार करने की बातें सामने आईं।

वीडियो के वायरल होने के बाद मामला और भी तूल पकड़ गया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, और छात्रों के समर्थन में कई लोगों ने आवाज उठाई। कुछ का कहना था कि यह घटना विश्वविद्यालय में छात्रों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का उल्लंघन है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में जांच की बात की है और इसे गंभीरता से लिया है।

इस घटना ने छात्रों के प्रदर्शन, स्वतंत्रता के अधिकार, और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के खिलाफ होने वाले प्रशासनिक अत्याचार पर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। छात्रों के द्वारा मनुस्मृति जलाने की कोशिश के पीछे जो विचारधारा थी, वह भी एक बड़ा सवाल बन गई है। इसे एक प्रकार से जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ एक विरोध आंदोलन के रूप में देखा जा रहा था।

इस मामले में अब विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच बातचीत जारी है, और यह देखना होगा कि मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

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