Cyber Fraud: पुराने सिक्के बेचने की चाह में गंवाए 15 लाख, रिटायर्ड अधिकारी भी बने शिकार

Cyber Fraud: पुराने सिक्के बेचने की चाह में गंवाए 15 लाख, रिटायर्ड अधिकारी भी बने शिकार
साइबर अपराधी लगातार नई-नई योजनाओं के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। हाल ही में, चंद पुराने और दुर्लभ सिक्कों को बेचकर मुनाफा कमाने की चाहत में एक व्यक्ति ने 15 लाख रुपये गंवा दिए। हैरानी की बात यह है कि शिकार हुआ व्यक्ति एक रिटायर्ड अधिकारी था, जो अपनी समझदारी और अनुभव के बावजूद इस धोखाधड़ी से बच नहीं सका।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
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लुभावने विज्ञापन का जाल:
पीड़ित को सोशल मीडिया और इंटरनेट पर एक विज्ञापन दिखा, जिसमें दावा किया गया था कि पुराने सिक्कों की कीमत लाखों में हो सकती है। -
संपर्क करने पर चालाकी से फंसाया गया:
जब व्यक्ति ने विज्ञापन में दिए नंबर पर संपर्क किया, तो अपराधियों ने खुद को बड़े खरीदारों और नीलामी कंपनियों का प्रतिनिधि बताया। -
फीस और कागजी कार्रवाई के नाम पर ठगी:
अपराधियों ने सिक्के बेचने के लिए पहले प्रोसेसिंग फीस, फिर ट्रांजेक्शन चार्ज, और कस्टम क्लियरेंस जैसे बहानों से कई बार पैसे मांगे। -
विश्वास जीतने की रणनीति:
ठगों ने नकली दस्तावेज, खरीदारों की फर्जी लिस्ट और लेनदेन की रसीदें दिखाकर पीड़ित का विश्वास जीत लिया।
अंत में, हुआ नुकसान
जब व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ, तब तक वह 15 लाख रुपये गंवा चुका था। ठगों ने संपर्क बंद कर दिया और उनके सभी नंबर बंद हो गए।
रिटायर्ड अधिकारी कैसे बने शिकार?
आमतौर पर यह माना जाता है कि पढ़े-लिखे और अनुभवी लोग साइबर अपराधियों के जाल में नहीं फंसते, लेकिन तकनीकी धोखाधड़ी इतनी पेचीदा हो चुकी है कि हर कोई इसका शिकार बन सकता है। रिटायर्ड अधिकारी के मामले में अपराधियों ने बेहद पेशेवर तरीके से बात करके उनकी शंकाओं को दूर किया।
कैसे बचें ऐसे फ्रॉड से?
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लालच से बचें:
यदि कोई ऑफर असामान्य रूप से अच्छा लगे, तो उसकी सच्चाई की जांच जरूर करें। -
कानूनी जांच करें:
यदि कोई आपको दुर्लभ सिक्कों या अन्य सामान के लिए बड़ी रकम देने का वादा करे, तो संबंधित विभाग से जानकारी प्राप्त करें। -
संवेदनशील जानकारी साझा न करें:
अपनी बैंक डिटेल्स या निजी जानकारी किसी अज्ञात व्यक्ति या संस्था को न दें। -
सतर्क रहें:
किसी भी लेनदेन से पहले प्रमाणिक स्रोतों से जानकारी जुटाएं और संदिग्ध नंबरों की रिपोर्ट करें।
साइबर अपराधियों से सावधान रहें
यह घटना एक महत्वपूर्ण सबक है कि डिजिटल युग में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार जागरूकता अभियान चला रही हैं, लेकिन व्यक्तिगत सतर्कता भी बेहद जरूरी है।