काशी का पहला गिरजाघर: 'इंग्लिश चर्च' (सेंट मेरीज चर्च)
वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, आस्था और विरासत का अद्भुत संगम है। यहां का ऐतिहासिक सेंट मेरीज चर्च, जिसे 'इंग्लिश चर्च' के नाम से जाना जाता है, उत्तर भारत का सबसे पुराना प्रोटेस्टेंट चर्च माना जाता है।
Tue, 24 Dec 2024
काशी का पहला गिरजाघर: 'इंग्लिश चर्च' (सेंट मेरीज चर्च)
वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, आस्था और विरासत का अद्भुत संगम है। यहां का ऐतिहासिक सेंट मेरीज चर्च, जिसे 'इंग्लिश चर्च' के नाम से जाना जाता है, उत्तर भारत का सबसे पुराना प्रोटेस्टेंट चर्च माना जाता है।
इतिहास और निर्माण
- निर्माण का समय: 18वीं शताब्दी
- नींव रखने वाले: 29 अप्रैल 1810 को डेनियल कोरी
- समाप्ति का वर्ष: 1812
- यह चर्च ब्रिटिश छावनी क्षेत्र में स्थित था और इसे एंग्लिकन चर्च, गैरिसन चर्च, और वेस्टेड इन क्राउन के नामों से भी जाना जाता है।
- इस चर्च के पहले पादरी सी. साइमन थे।
चर्च की विशेषताएं
- वास्तुकला: चर्च नक्काशीदार शैली में बनाया गया है।
- फर्श: इसे पिकाक कार्पेट से सजाया गया था।
- ब्रेंच: सैनिकों की सुविधा के लिए ऐसी डिजाइन की गई थीं कि उनकी बंदूकें आराम से रखी जा सकें।
- नामकरण: अंग्रेजी में प्रार्थना की परंपरा के कारण इसे 'इंग्लिश चर्च' कहा गया।
प्रसिद्ध यात्राएं और मान्यता
- 1961 में क्वीन एलिजाबेथ II ने वाराणसी प्रवास के दौरान इसी चर्च में प्रार्थना की थी।
- स्कॉटलैंड के राजकुमार जॉन ड्यूक भी प्रभु यीशु की आराधना के लिए यहां आ चुके हैं।
- यह गिरजाघर मसीही आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है।
आधुनिक इतिहास
- 1970 में बिशप पैट्रिक डिसूजा के कार्यकाल के दौरान चर्च को नई भव्यता और सुंदरता प्रदान की गई।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
सेंट मेरीज चर्च सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ब्रिटिश वास्तुकला, धार्मिक पर्यटन, और काशी की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यहां आकर भक्त और पर्यटक आस्था और इतिहास का अनुभव करते हैं।
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