BHU में PhD एडमिशन : फॉर्म भरने वाले अभ्यर्थियों को मिलेगा इंटरव्यू देने का मौका, अब तक 8000 आवेदन; जानें खास

इंटरव्यू का आयोजन उन अभ्यर्थियों के लिए किया जाएगा, जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया है और उनका चयन प्रारंभिक शर्तों के आधार पर हुआ है।
 
BHU में PhD एडमिशन : फॉर्म भरने वाले अभ्यर्थियों को मिलेगा इंटरव्यू देने का मौका, अब तक 8000 आवेदन; जानें खास

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने अपने पीएचडी एडमिशन प्रोसेस में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब तक करीब 8000 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं और विश्वविद्यालय ने उन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू देने का अवसर देने का निर्णय लिया है, जिन्होंने पीएचडी के लिए आवेदन किया है।

प्रमुख बदलाव और प्रक्रिया:

  1. इंटरव्यू का आयोजन: अब तक, कई विश्वविद्यालयों में पीएचडी एडमिशन के लिए केवल लिखित परीक्षा और डॉक्युमेंट्स की जांच की जाती थी, लेकिन BHU ने अब इंटरव्यू प्रक्रिया को शामिल किया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि योग्य और समर्पित उम्मीदवारों का चयन किया जा सके। इंटरव्यू से यह सुनिश्चित होगा कि उम्मीदवार अपने शोध क्षेत्र में गहरी समझ और रुचि रखते हों।

  2. आवेदन की स्थिति: BHU ने अभी तक लगभग 8000 आवेदन प्राप्त किए हैं, जिनमें से कुछ को इंटरव्यू के लिए चुना जाएगा। जो उम्मीदवार प्रारंभिक शर्तों (जैसे शैक्षिक योग्यता, अनुभव, आदि) में पास होंगे, उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा।

  3. आवेदन करने की प्रक्रिया: अभ्यर्थियों को पहले ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इस आवेदन में उन्हें अपने शोध विषय, पिछले शैक्षिक रिकॉर्ड और अन्य संबंधित जानकारी देनी होती है। इसके बाद, यदि आवेदन योग्य पाया जाता है, तो अभ्यर्थी को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

  4. इंटरव्यू के लिए तैयारी: BHU के इस निर्णय के बाद, अभ्यर्थियों को अपने शोध क्षेत्र, संभावित शोध विषय, और संबंधित साहित्य पर गहरी तैयारी करनी होगी। इंटरव्यू में न केवल अकादमिक क्षमता, बल्कि उम्मीदवार की शोध क्षेत्र में रुचि और ज्ञान की भी जांच की जाएगी।

  5. प्रत्याशित परिणाम: इस नए कदम से BHU यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उनका चयन प्रक्रिया न केवल उचित हो, बल्कि यह भी सुनिश्चित हो कि उम्मीदवार वास्तव में पीएचडी के लिए तैयार हों। इससे शोध कार्य में उत्कृष्टता आने की संभावना है।

क्यों लिया गया यह निर्णय?

इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य यह है कि केवल लिखित परीक्षा के आधार पर चयन करना पर्याप्त नहीं होता, क्योंकि पीएचडी के लिए उम्मीदवार का मनोबल, रुचि और समर्पण भी महत्वपूर्ण होते हैं। इंटरव्यू प्रक्रिया से यह संभव होगा कि चयनित उम्मीदवार अपने शोध कार्य में अधिक सफलता प्राप्त कर सकें और विश्वविद्यालय को अपनी पीएचडी में उत्कृष्टता दिखा सकें।

आपको क्या लगता है, यह बदलाव उम्मीदवारों के लिए फायदेमंद होगा या कोई चुनौती पेश कर सकता है?

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