Linking Aadhaar and Voter ID : वोटर लिस्ट में गड़बड़ी पर होगा बड़ा फैसला, Voter ID को आधार से जोड़ने की तैयारी

Linking Aadhaar and Voter ID : वोटर लिस्ट में अनियमितताओं के आरोपों से घिरा चुनाव आयोग अब इसे दुरुस्त करने के लिए गंभीर कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मंगलवार को यूआइडीएआइ और केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इस बैठक में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने से जुड़ी चुनौतियों और कानूनी अड़चनों को हल करने पर अहम फैसले लिए जा सकते हैं.
 
Linking Aadhaar and Voter ID

हाईलेवल मीटिंग में कौन होंगे शामिल?
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चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, इस अहम बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ अन्य दो चुनाव आयुक्त, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधायी सचिव राजीव मणि और यूआइडीएआइ के सीईओ भुवनेश कुमार भी मौजूद रहेंगे. भुवनेश कुमार की भागीदारी यह दर्शाती है कि मतदाता सूची को आधार डेटाबेस से जोड़ने की प्रक्रिया तेज करने पर चर्चा होगी, जबकि राजीव मणि की उपस्थिति कानूनी बाधाओं को दूर करने के लिए जरूरी पहल की ओर इशारा करती है.

विपक्ष के बढ़ते हमले और चुनाव आयोग की सफाई
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल चुनाव आयोग पर लगातार हमले कर रहे हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर मोर्चा खोल दिया था. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में 39 लाख नए मतदाता जोड़ने को महाआघाड़ी गठबंधन की हार का कारण बताया था और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली में अपनी हार का ठीकरा वोटर लिस्ट की अनियमितताओं पर फोड़ा है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो यहां तक आरोप लगाया कि मतदाता सूची में डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर जोड़कर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की साजिश रची जा रही है.

पहले भी हुई थी मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की पहल
2015 में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को आधार डेटाबेस से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की थी. महज तीन महीनों में 30 करोड़ वोटर आईडी को आधार से लिंक कर दिया गया था, लेकिन आधार की वैधानिकता पर उठे सवालों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. 2018 में शीर्ष अदालत ने आधार को वैध ठहराया, लेकिन इसके स्वैच्छिक इस्तेमाल की अनुमति दी. इसके बाद 2022 में सरकार ने जनप्रतिनिधित्व कानून और चुनाव कानून में संशोधन कर मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का रास्ता साफ किया.

अब तक 66 करोड़ मतदाताओं के पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके हैं, लेकिन 33 करोड़ वोटर्स का डेटा अभी भी लिंक होना बाकी है. यही वजह है कि इस मुद्दे पर बहस जारी है और चुनाव आयोग इसे पूर्ण रूप से लागू करने के लिए कानूनी अड़चनों को खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है.

कानूनी बाधाओं को दूर करने की रणनीति
चुनाव आयोग ने हाल ही में मतदाता सूची को पूरी तरह फुलप्रूफ बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के संकेत दिए थे. अब, मंगलवार की बैठक में इन कानूनी अड़चनों को खत्म करने और आधार लिंकिंग को अनिवार्य बनाने के लिए ठोस रणनीति पर चर्चा होगी.

क्या Voter ID का आधार से जुड़ना जरूरी होगा?
अगर चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलती है, तो यह संभव है कि भविष्य में मतदाता पहचान पत्र का आधार से लिंक होना अनिवार्य कर दिया जाए. इससे फर्जी मतदान, डुप्लीकेट वोटर आईडी और मतदाता सूची में गड़बड़ी जैसी समस्याओं को खत्म करने में मदद मिलेगी.

अब देखना होगा कि इस अहम बैठक में क्या फैसले लिए जाते हैं और मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की दिशा में चुनाव आयोग कौन से नए कदम उठाता है.

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