Popcorn Lung से पॉपकॉर्न ब्रेन तक, कहीं आप भी तो नहीं इस अजीबोगरीब बीमारी का शिकार?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, बदला हुआ खानपान और डिजिटल पर निर्भरता ने हमें कई नई और अजीब तरह की बीमारियों के करीब ला दिया है। इनमें से दो नाम हाल के वर्षों में चर्चा में रहे हैं– पॉपकॉर्न लंग ( Popcorn Lung) और पॉपकॉर्न ब्रेन (Popcorn Brain)। नाम सुनने में थोड़े मजेदार जरूर लगते हैं, लेकिन इनके असर बेहद गंभीर हो सकते हैं। आइए जानते हैं आखिर ये बीमारियां क्या हैं, इनके लक्षण, कारण और इनसे बचने के उपाय।
Popcorn Lung क्या है?
पॉपकॉर्न लंग ( Popcorn Lung), जिसका मेडिकल नाम ब्रॉन्कियोलाइटिस ऑब्लिटरन्स (Bronchiolitis Obliterans) है, एक दुर्लभ लेकिन गंभीर फेफड़ों की बीमारी है। यह तब होती है जब फेफड़ों की सबसे पतली वायु नलिकाएं (ब्रॉन्कियोल्स) में सूजन या नुकसान हो जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत आने लगती है।
इस बीमारी का नाम तब चर्चा में आया जब माइक्रोवेव पॉपकॉर्न बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों के फेफड़े खराब होने लगे। जांच में पाया गया कि मक्खन जैसा फ्लेवर देने वाले केमिकल डायएसिटाइल (Diacetyl) की वजह से उन्हें यह बीमारी हुई।
❗ पॉपकॉर्न लंग के प्रमुख लक्षण:
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लगातार बनी रहने वाली खांसी
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सांस फूलना या लेने में दिक्कत
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सीने में भारीपन या दर्द
🛡 इससे कैसे बचें:
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फ्लेवरिंग एजेंट्स से दूरी बनाएं, खासकर डायएसिटाइल से।
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ऐसी फैक्ट्रियों में काम करते हैं तो सुरक्षा गियर पहनें और वेंटिलेशन की व्यवस्था हो।
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धूम्रपान और वेपिंग से परहेज करें।
🧠 क्या है पॉपकॉर्न ब्रेन?
पॉपकॉर्न ब्रेन कोई मेडिकल टर्म नहीं, बल्कि डिजिटल युग में पैदा हुई एक मानसिक स्थिति का अनौपचारिक नाम है। जब इंसान का दिमाग हर पल एक नई सूचना, रील, नोटिफिकेशन या वीडियो में उलझा रहता है, तो उसका फोकस और एकाग्रता खत्म हो जाती है। इसे ही 'पॉपकॉर्न ब्रेन' कहा जाता है।
इस शब्द को सबसे पहले 2011 में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर डेविड लेवी ने इस्तेमाल किया था, जब उन्होंने देखा कि टेक्नोलॉजी की आदतें हमारे सोचने और जीने के तरीके को कैसे बदल रही हैं।
⚠️ पॉपकॉर्न ब्रेन के संकेत:
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किसी काम में ध्यान नहीं लग पाना
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सोशल मीडिया से चिपके रहना
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रियल लाइफ में उत्साह की कमी
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हर समय बेचैनी महसूस करना
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लगातार मोबाइल चेक करते रहना
🧘♀️ इससे कैसे निपटें:
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डिजिटल डिटॉक्स करें – मोबाइल और सोशल मीडिया का टाइम फिक्स करें।
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हर दिन कुछ समय मोबाइल से दूर रहें।
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माइंडफुलनेस, मेडिटेशन और योग को दिनचर्या में शामिल करें।
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रचनात्मक गतिविधियों में समय दें – जैसे पेंटिंग, म्यूजिक, रीडिंग।
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नींद पूरी लें और बीच-बीच में काम से ब्रेक लें।