Karnataka Bandh 2025 : आज कर्नाटक क्यों बंद है? बस कंडक्टर की एक बात ने मचाया बवाल!
Karnataka Bandh 2025 : कर्नाटक में 22 मार्च 2025 को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे का राज्यव्यापी बंद (Karnataka Bandh 2025) का ऐलान किया गया है. यह बंद प्रो-कन्नड़ संगठनों, खासकर कन्नड़ ओक्कूटा (Kannada Okkoota) की ओर से बुलाया गया है, जो बेलगावी (Belagavi) में एक कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) बस कंडक्टर पर कथित हमले के विरोध में है. यह हमला पिछले महीने हुआ था, जब कंडक्टर पर मराठी भाषी समूहों ने कथित तौर पर इसलिए हमला किया क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था. इस घटना ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच लंबे समय से चली आ रही भाषाई और सीमा विवाद की आग को और भड़का दिया है.

बंद का कारण
Karnataka Bandh 2025
Karnataka Bandh का मुख्य कारण बेलगावी में हुई घटना है, जो कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा क्षेत्र में भाषाई तनाव का कारण बन गई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, 21 फरवरी 2025 को बेलगावी के पास सुलेभावी-बालेकुंद्री इलाके में KSRTC बस कंडक्टर महादेव पर कुछ मराठी युवकों ने हमला किया. यह विवाद तब शुरू हुआ जब कंडक्टर ने एक यात्री से कन्नड़ में बात करने को कहा. हमलावरों ने इसे उकसावे के रूप में लिया और हिंसा पर उतर आए. यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसके बाद प्रो-कन्नड़ संगठनों ने इसे कन्नड़ अस्मिता पर हमला करार देते हुए राज्यव्यापी विरोध की योजना बनाई.
इसके अलावा, बंद के पीछे एक और बड़ा मुद्दा है - कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद. 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से ही वह बेलगावी, कारवाड़, और निप्पानी जैसे 865 गांवों पर दावा करता रहा है, जबकि कर्नाटक इन क्षेत्रों को छोड़ने से इनकार करता है. बेलगावी में मराठी और कन्नड़ भाषी समुदायों के बीच तनाव दशकों से बना हुआ है, और यह हालिया घटना उस आग में तेल डालने का काम कर रही है.
आयोजकों की मांगें
कन्नड़ ओक्कूटा और अन्य प्रो-कन्नड़ संगठनों ने इस बंद के जरिए कई मांगें रखी हैं-
महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) पर प्रतिबंध: आयोजकों का कहना है कि मराठी समर्थक संगठन, जैसे MES, हिंसा फैलाने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में शामिल हैं। वे कर्नाटक में इन संगठनों पर पूरी तरह प्रतिबंध चाहते हैं.
कन्नड़ भाषियों की सुरक्षा: खास तौर पर सीमावर्ती इलाकों जैसे बेलगावी में कन्नड़ भाषियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की जा रही है.
ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस बिल का विरोध: कुछ संगठन इस बिल के खिलाफ भी हैं, जिसका उद्देश्य बेंगलुरु को कई प्रशासनिक जोन में बांटना है। उनका मानना है कि इससे कन्नड़ संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
प्रख्यात कन्नड़ कार्यकर्ता वटाल नागराज, जो इस बंद के प्रमुख आयोजकों में से एक हैं, ने कहा, "यह बंद बस ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए है। हम बेलगावी को बचाना चाहते हैं। MES जैसे संगठनों को कर्नाटक में जगह नहीं मिलनी चाहिए."
बंद का असर
22 मार्च को होने वाला यह बंद कर्नाटक के जनजीवन को प्रभावित कर सकता है। KSRTC और बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (BMTC) के कर्मचारी संगठनों ने बंद को समर्थन देने की बात कही है, जिससे बस सेवाएं राज्यभर में बाधित हो सकती हैं. ओला-उबर ड्राइवर्स और ऑटो यूनियनों ने भी समर्थन जताया है, जिसका मतलब है कि टैक्सी और ऑटो सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि, मेट्रो, रेलवे, और हवाई अड्डा सेवाओं के सामान्य रूप से चलने की उम्मीद है.
स्कूलों और कॉलेजों को लेकर स्थिति स्पष्ट है—बेंगलुरु के डिप्टी कमिश्नर जगदीश ने कहा कि शनिवार को कोई छुट्टी नहीं होगी, और शिक्षण संस्थान खुले रहेंगे. फिर भी, कई प्राइवेट स्कूलों ने सावधानी बरतते हुए छुट्टी का ऐलान किया है. SSLC परीक्षाएं 21 मार्च से शुरू हो रही हैं, लेकिन 22 मार्च को कोई परीक्षा निर्धारित नहीं है, इसलिए छात्रों पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा.
बैंकों के लिए भी स्थिति साफ है—22 मार्च चौथा शनिवार होने के कारण बैंक पहले से ही बंद रहेंगे.
सरकार और सुरक्षा व्यवस्था
कर्नाटक सरकार ने इस बंद का समर्थन नहीं किया है. उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा, "हम इस बंद के पक्ष में नहीं हैं. यह हमले से निपटने का सही तरीका नहीं है." दूसरी ओर, सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. बेलगावी, बेंगलुरु, और अन्य संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके.
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