Pahalgam Terror Attack का मास्टरमाइंड कौन है, आतंकी संगठन TRF कौन है ? 6 Points में जानिए

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में TRF द्वारा पर्यटकों पर हुए हमले में 26 की मौत हुई. जानिए हमले के मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कासूरी और लीडर आसिफ फौजी के बारे में पूरी जानकारी.
 
Pahalgam Terrorist Attack

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. यह हमला आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद राज्य में हुआ सबसे भयानक आतंकवादी हमला बताया जा रहा है. हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए हैं. इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की एक शाखा है.

सैफुल्लाह कासूरी- हमले का मास्टरमाइंड
सैफुल्लाह कासूरी, जिसे खालिद के नाम से भी जाना जाता है, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ कमांडर है. वह LeT के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी माना जाता है. अमेरिकी ट्रेजरी और द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कासूरी ने 8 अगस्त 2017 को मिल्ली मुस्लिम लीग (MML), जो हाफिज सईद की जमात-उद-दावा (JuD) का राजनीतिक मोर्चा है, के अध्यक्ष के रूप में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। वह LeT के पेशावर मुख्यालय का प्रमुख है और JuD के तहत सेंट्रल पंजाब प्रांत के समन्वय समिति में भी काम कर चुका है.

JuD को अमेरिकी विदेश विभाग ने अप्रैल 2016 में LeT का उपनाम घोषित किया था, और दिसंबर 2008 में इसे संयुक्त राष्ट्र की 1267/1988 प्रतिबंध सूची में LeT के उपनाम के रूप में शामिल किया गया था. खुफिया एजेंसियों का मानना है कि कासूरी ने इस हमले की सावधानीपूर्वक योजना बनाई थी, ताकि अधिकतम नुकसान हो सके.

द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) क्या है?
द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा है, जिसका गठन 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद किया गया था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, TRF का नाम धार्मिक संबद्धता को कम दिखाने और कश्मीर की उग्रवाद को स्वदेशी रूप देने के लिए चुना गया. ‘रेसिस्टेंस’ शब्द का इस्तेमाल ग्लोबल लेवल पर इसे प्रासंगिक बनाने के लिए किया गया.

गृह मंत्रालय (MHA) ने TRF को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत “आतंकवादी संगठन” घोषित किया है. MHA के नोटिफिकेशन के अनुसार, TRF ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए भर्ती करता है और पाकिस्तान से हथियारों व नशीले पदार्थों की तस्करी में मदद करता है.

TRF का गठन 2019 में शेख सज्जाद गुल के नेतृत्व में हुआ, जो इसका सीनियर कमांडर था, जबकि बासित अहमद दार इसका मुख्य परिचालन कमांडर था. TRF में हिजबुल मुजाहिदीन और LeT जैसे संगठनों के आतंकी शामिल हैं. अक्टूबर 2024 में गांदरबल में एक सुरंग निर्माण स्थल पर हुए हमले, जिसमें एक डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूर मारे गए थे, सहित जम्मू-कश्मीर में नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हुए कई हमलों के लिए TRF जिम्मेदार रहा है.

आसिफ फौजी: TRF का हमलावर नेता
TRF ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी हमले के कुछ घंटों बाद ही ले ली थी. इंडिया टुडे टीवी सहित कई रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले का नेतृत्व आसिफ फौजी ने किया था. कुछ रिपोर्ट्स में उसे स्थानीय आतंकी बताया गया, जबकि अन्य का दावा है कि वह पाकिस्तान सेना के साथ काम करता था, इसलिए उसे ‘फौजी’ कहा जाता है.

तैयारी और तकनीक का इस्तेमाल
जांच में सामने आया है कि आतंकियों के पास मिलिट्री-ग्रेड हथियार, कम्युनिकेशन डिवाइस, बॉडी कैमरा, और सूखे मेवे व दवाइयां भी थीं. यह साफ दर्शाता है कि हमला पूरी तैयारी के साथ किया गया था.

पाकिस्तान कनेक्शन और भाषण
हमले से पहले पाकिस्तान में दो प्रमुख भाषण हुए—एक पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर का और दूसरा LeT कमांडर अबू मूसा का. दोनों भाषणों में कश्मीर को लेकर कट्टर विचार और "जिहाद" की बात कही गई थी. इन भाषणों के कुछ ही दिन बाद पहलगाम हमला हुआ, जिससे पाकिस्तान की आतंकी भूमिका और समर्थन की पुष्टि होती है.

डिजिटल सबूत और खुफिया सुराग
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट्स को मुझफ्फराबाद और कराची स्थित सेफ हाउसेज से जोड़ा गया है, जो सीमा पार से आतंकवाद के स्पष्ट प्रमाण हैं.

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