Life Insurance Claim Rejected: लाइफ इंश्योरेंस रिजेक्ट हो जाए तो क्या करें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
Life Insurance Claim Rejected: जीवन बीमा (Life Insurance) एक ऐसा साधन है जो परिवार को उस वक्त सुरक्षा देता है जब जीवन में सबसे बड़ा संकट आता है—किसी अपने की मौत, लेकिन कई बार, जब परिवार को इस सुरक्षा की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, तब बीमा दावा (Insurance Claim) रिजेक्ट हो जाता है. यह न केवल भावनात्मक आघात देता है, बल्कि आर्थिक संकट भी गहरा कर देता है. अगर बीमा क्लेम रिजेक्ट हो जाए, तो क्या करें? कैसे पता करें कि आपका दावा सही तरीके से खारिज किया गया या नहीं? और क्या आप इसके खिलाफ लड़ सकते हैं?

लाइफ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के आम कारण
- गलत या अधूरी जानकारी – प्रपोजल फॉर्म में तथ्य छुपाना या गलत जानकारी देना.
- पॉलिसी की समय सीमा – अगर पॉलिसी तीन साल से कम पुरानी है, तो कंपनी ज्यादा जांच कर सकती है.
- मेडिकल हिस्ट्री का खुलासा न करना – कोई गंभीर बीमारी, स्मोकिंग/अल्कोहल की आदत को न बताना.
- प्रीमियम में देरी या गैर-भुगतान – समय पर प्रीमियम न भरना.
- पॉलिसी की उम्र का क्या महत्व है?
- इंश्योरेंस एक्ट की धारा 45 के अनुसार
36 महीने से कम पुरानी पॉलिसी
- बीमा कंपनी किसी भी त्रुटि जैसे फैक्ट्स छिपाने, या गलत जानकारी के आधार पर दावा खारिज कर सकती है.
- इस स्थिति में परिवार को प्रमाण देने की ज़रूरत होती है.
36 महीने से ज़्यादा पुरानी पॉलिसी
- इंश्योरेंस कंपनी केवल साबित धोखाधड़ी के मामले में ही दावा खारिज कर सकती है.
- साधारण भूल या गैर-इरादतन गल्तियां इसमें कारण नहीं बनतीं.
इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो क्या करें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
- रिजेक्शन लेटर को ध्यान से पढ़ें, उसमें दावे को अस्वीकार करने की वजह लिखी होती है.
- जरूरी दस्तावेज़ तैयार करें जैसे- मृत्यु प्रमाण पत्र, मेडिकल रिकॉर्ड्स, बीमा पॉलिसी कॉपी, प्रपोजल फॉर्म की कॉपी, क्लेम फॉर्म
- बीमा कंपनी को फॉर्मल शिकायत भेजें. उनके ग्रेविएंस रिड्रेसल ऑफिसर (GRO) को पत्र लिखें और सभी दस्तावेज़ अटैच करें.
- bimabharosa.irdai.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें.
- अगर दावा ₹50 लाख से कम का है तो, बीमा ओम्बड्समैन से कॉन्टैक्ट करें. पूरी प्रक्रिया फ्री है और 90 दिन के भीतर समाधान मिल सकता है.
- ₹50 लाख से अधिक के मामलों में आप उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) में केस दर्ज कर सकते हैं.
बीमा क्लेम करते समय ये गलती न करें
- एजेंट द्वारा भरा गया फॉर्म बिना पढ़े OTP शेयर न करें.
- हर जानकारी जैसे मेडिकल स्थिति, इनकम, पहले के बीमा – पूरी ईमानदारी से भरें.
- सभी डॉक्युमेंट की कॉपी खुद रखें.
- मृत्यु के तुरंत बाद क्लेम दाखिल करें – देरी न करें.
एक्सपर्ट की सलाह
शिल्पा अरोड़ा, COO, Insurance Samadhan कहती हैं, “बीमा एक संविदात्मक (Contractual) दस्तावेज़ है. इसमें सबसे जरूरी भूमिका प्रपोजल फॉर्म की होती है. ग्राहक को चाहिए कि वो OTP शेयर करने से पहले हर जानकारी खुद जांच लें. क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो भावनात्मक अपील से अधिक तर्क और सबूत पर ध्यान दें”
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