हैदराबाद में 400 एकड़ जंगल की कटाई, मोर के चिल्लाने का Video Viral, क्या है पूरा मामला

Hyderabad Forest Cutting : हैदराबाद में 400 एकड़ जंगल की कटाई एक गंभीर मुद्दा बन गया है. जहां एक ओर सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण विशेषज्ञ इसके दुष्प्रभावों को लेकर चेतावनी दे रहे हैं. हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) से सटी 400 एकड़ जंगल की जमीन पर तेलंगाना सरकार की नजरें टिकी हुई हैं, और इसे लेकर विवाद गहराता जा रहा है. सोशल मीडिया पर जंगल कटाई के वक्त मोर और पक्षियों के चिल्लाने की आवाज वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं.

 
Hyderabad Forest Cutting

जंगल काटने का कारण
सरकार इस जमीन को समतल कर विकास परियोजनाओं, खासकर एक आईटी पार्क, के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. लेकिन इस कदम का स्थानीय लोग, पर्यावरणविद्, छात्र और विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे हैं. इस जंगल में 734 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे, 220 से ज्यादा पक्षी प्रजातियाँ, हिरण, और कई दुर्लभ जीव-जंतु मौजूद हैं। इस क्षेत्र में तीन झीलें और चट्टानें भी हैं, जो इसे पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण बनाती हैं.

सरकार के वकील एजी सुदर्शन रेड्डी ने हाई कोर्ट में दलील दी कि यह जमीन जंगल नहीं है, बल्कि एक औद्योगिक क्षेत्र है. उन्होंने गूगल तस्वीरें दिखाकर दावा किया कि यहाँ कोई घना जंगल नहीं था, और हैदराबाद के कई इलाकों में सांप, मोर और पेड़ हैं, लेकिन उन्हें जंगल घोषित नहीं किया जा सकता.

हालांकि, पर्यावरणविदों और छात्रों का कहना है कि यह दावा पूरी तरह गलत है. "वाता फाउंडेशन" और HCU के छात्रों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस जमीन को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की माँग की है। उनका कहना है कि यह जंगल जैव-विविधता का खजाना है, और इसे काटने से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होगा, बल्कि हजारों जीव-जंतुओं का आशियाना भी छिन जाएगा.


विरोध के बाद हाईकोर्ट ने क्या कहा
जंगल कटाई की खबर जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो लोगों का गुस्सा भड़क उठा. गाछीबाउली के कान्चा क्षेत्र में स्थित इस जंगल में बुलडोजर और जेसीबी मशीनें पेड़ काटने और जमीन समतल करने में लगी हुई थीं. हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने इसका विरोध शुरू किया, लेकिन पुलिस ने 53 छात्रों को हिरासत में ले लिया. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जबरन हिरासत में लिया. 

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया. एक यूजर ने लिखा, "कांग्रेस राज में हैदराबाद का 400 एकड़ वन क्षेत्र उजाड़ा जा रहा है! हजारों पेड़ कट रहे हैं, हिरण-पक्षियों का बसेरा उजड़ रहा है—क्या यही विकास है?" एक अन्य यूजर ने कहा, "रोको इस विनाश को, जंगल बचाने के लिए खड़े हो जाओ, वरना इतिहास हमें माफ नहीं करेगा!"

पर्यावरणविद् अरुण गुप्ता ने कहा
"अगर यह जंगल काटा जाता है, तो आने वाले 10 वर्षों में हैदराबाद को जबरदस्त जल संकट और वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ेगा. सरकार को इस प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार करना चाहिए और जंगल बचाने के वैकल्पिक समाधान खोजने चाहिए"

विरोध के बाद मामला हैदराबाद हाई कोर्ट पहुँचा, जिसने 2 अप्रैल 2025 को पेड़ कटाई पर अस्थायी रोक लगा दी. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन करे, जिसमें किसी वन क्षेत्र को काटने से पहले विशेषज्ञ समिति द्वारा एक महीने का अध्ययन अनिवार्य है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को तय की है. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुँच गया, जिसने तुरंत जंगल कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया.

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